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ओरिजिनल लव पार्ट 4

कालू -"उनके घर गए होंगे, देख लिए,,,उसकलेक्टरनी के तेवर,,,,, मुंह से कम और हाथ से ज्यादा बात करती है, वो"! कालू ने कहा

आकाश - "अरे, नहीं देख पाया यार, उसने मेरी तरफ गर्दन घुमाई और उस कंडे वाले ने पीछे से मारा,,,देख नहीं पाया यार"! आकाश ने अफसोस से कहा

(अगले दिन)

पिता -"क्यों रे आकाश,,,हम दिन-दिन भर चिल्लाते हैं, तब भी तू,,,नहीं नहाता है और आज सुबह-सुबह नहा कर तैयार हो गया है, क्या बात है"? पिता ने पूछा

आकाश - "पापा,,,तुम एक नंबर के भुलक्कड़ हो, आज मेहमान आ रहे हैं ना, अरे, मेरा मतलब आज मंगलवार है ना और मैं हनुमान जी का भक्त हूं, इसीलिए मंदिर जा रहा हूं"! आकाश ने बात बदलते हुए कहा

पिता -"ठीक है, थोड़ा जल्दी आ जाना, आज तुझे,,,गोपाल नाथ जी देखने आ रहे हैं"! पिता ने बताया

आकाश -"पापा,,वह अकेले आ रहे हैं या उनके साथ और भी कोई आ रहे हैं"! आकाश ने शरमाते हुए पूछा

पिता -"तू फोकट होशियारी मत दिखा, वह अकेले आए या उनके साथ बारात लाये, उससे तुझे क्या"? पिता ने डांटते हुए कहा

आकाश -"पापा,, ऐसे ही पूछ रहा था"!

पिता -"ऐसे ही मत पूछा कर और ले, उधर से एक सिगरेट का पैकेट ले आना, तेरे होने वाले ससुर सिगरेट पीते हैं, अगर मैंने,,,उनके सामने बीड़ी पी तो अपनी इमेज कम होगी"! पिता ने पैसे देते हुए कहा

फिर आकाश मंदिर आता है, हनुमान जी से प्रार्थना करते हुए कहता है

आकाश - -"हनुमान जी, आज एक बहुत जरूरी बात बताने आया हूं, तुम यह मत सोचना कि आकाश ने पार्टी बदल ली, "नहीं"?!"मैं बचपन से तुम्हारा भक्त हूं और मरते दम तक, तुम्हारा भक्त रहूंगा पर अब मैं ब्रह्मचारी व्रत का पालन नहीं कर पाऊंगा, क्योंकि मेरे घर वाले, मेरी जबरदस्ती शादी कर रहे हैं, मैंने तो साफ मना कर दिया, क्योंकि मैं,, तो आपकी तरह बलशाली, शक्तिशाली बनना चाहता हूं, पर मम्मी-पापा ने कसम डाल दी है, इसलिए शादी करनी पड़ेगी, पर आप टेंशन मत लो, मैं अपने बच्चों को ब्रह्मचारी बनाऊंगा और आपका परम भक्त बनाऊंगा, अब चलता हूं, मुझे देखने के लिए मेहमान आ रहे हैं, "जय सियाराम"!

फिर आकाश एक पान की दुकान पर आकर कहता है

आकाश -"भैया सबसे महंगा वाला, सिगरेट का पैकेट दे दो"!

पानवाला -"तेरे खानदान में तो सभी बीड़ी छाप लोग हैं, यह सिगरेट किसके,,,लिए ले जा रहा है या खुद ही पीने लग गया है"! पान वाले ने पैकेट देते हुए पूछा

वहीं खड़े एक अंकल जी ने आकाश की ओर देखते हुए कहा

अंकल -"हमारे देश की युवा पीढ़ी के हाथ में, यह मौत का सामान देखकर, मुझे बहुत दुख होता है"! वहां खड़े एक अनजान आदमी ने सिगरेट पीते हुए आकाश से कहा

आकाश -"तुम पियो तो सुख मिलता है और हम पिए तो दुख होता है, पहले खुद सुधरो, फिर दूसरों को अक्ल बांटना"! आकाश ने उस व्यक्ति को जवाब दिया

अंकल -"कितने बदतमीज हो तुम"! उस अनजान व्यक्ति ने कहा

आकाश -"तुमसे तो कम ही हूं, अंकल"! आकाश ने जाते हुए,उस व्यक्ति से कहा

फिर आकाश कुछ जरूरी सामान खरीद कर, अपने घर पहुंचता है और घर में पहुंचते ही, उसे वह व्यक्ति बैठा दिखाई देता है, जो उसे पान की दुकान पर मिला था

पिता ने आकाश का परिचय कराते हुए कहा

पिता -"यह है, हमारा ग्रेजुएट बेटा, आकाश चौधरी, सीतापुर का सबसे पढ़ा लिखा और होनहार लड़का, अरे,,वहां खड़े-खड़े क्या सोच रहा है"? "अपने होने वाले ससुर के पैर छू"! पिता ने कहा

गोपाल नाथ ने आकाश को देखकर कहा

गोपाल नाथ -"यह आपका बेटा है, अगर मुझे यह,,,पहले पता होता तो मैं, कभी अपनी बेटी का रिश्ता लेकर, तुम्हारे घर नहीं आता, तुम्हारा बेटा सिगरेट पीता है और जब मैंने, इसे समझाने की कोशिश की तो, इसने मुझसे, बदतमीजी की"!गोपालनाथ ने गुस्से में कहा

तब आकाश के पिता सीताराम ने कहा

सीताराम -"अरे,,,समधी जी, आपको कोई गलतफहमी हुई है, वह सिगरेट का पैकेट मैंने मंगाया था, आपके लिए,,,, क्या आपने, आपकी आंखों से इसे, सिगरेट पीते हुए देखा था"? सीताराम ने पूछा

गोपाल नाथ -"पीते हुए नहीं, सिगरेट खरीदते हुए देखा था"! गोपाल नाथ ने बताया

आकाश वह सिगरेट का पैकेट वहां बेंच पर रखता है

सीताराम -"मेरा बेटा, गुटखा, पाउच, तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट वालों की मय्यत में भी नहीं जाता है और आप, मेरे बेटे पर इतना बड़ा इल्जाम लगा रहे हो, अरे,,,, ये गाय है गाय,,,गांव में किसी से भी पूछ लो, मेरे बेटे के बारे में, तारीफ नहीं करेगा, मेरा मतलब तारीफ ही करेगा"! पिता ने गर्व से कहा

गोपाल नाथ -"अरे,,, ये बात आपको, पहले बताना था,  कि यह सिगरेट का पैकेट आपने, मेरे लिए मंगवाया था खामखा, मुझे गलतफहमी हो गई"! गोपाल नाथ ने कहा

फिर आकाश,अपने ससुर के पैर छूता है

गोपाल नाथ -"बेटा,  तुम्हारी जगह मेरे पैरों में नहीं, मेरे फेफड़ों में है, मेरा मतलब,,मेरे दिल में है, समधी जी,,,,मुझे आपकी गाय बहुत पसंद आई, अब आप, मेरे बैल को देखने आ जाओ, मेरा मतलब मेरी बेटी को देखने आ जाओ"! गोपाल नाथ ने धर्मेंद्र को गले लगाते हुए कहा

सीताराम -"चलो,,,इस बात पर मुंह मीठा कर लेते हैं, अरे आकाश की माँ, सुपर चाय बनाओ"! सीताराम ने कहा

गोपाल नाथ -"मुझे लगा, आप मिठाई खिलाओगे"! गोपाल नाथ ने सीताराम की और आश्चर्य से देखते हुए कहा

तभी आकाश की मां गीता आती है और कहती है

गीता -"समधी जी"!"हमारी होने वाली बहू को भी साथ ले आते, चाय लीजिए, मिठाई भी लीजिए, शमरमाइये मत"!

गोपाल नाथ -"समधन जी,,,चाय के साथ मिठाई कैसे खाते हैं"? गोपालनाथ ने पूछा

गीता -"तोस, बिस्किट, कुत्ते खाते हैं, इसलिए हमने चाय के साथ, तोस, बिस्कुट बंद कर दिए और मिठाई शुरू की है"!

गोपाल नाथ -"मुझे आपके घर की परंपराएं और मेहमान नवाजी बहुत अच्छी लगी"! गोपाल नाथ ने चाय पीते हुए कहा

गीता -"चाय और मिठाई अच्छी नहीं लगी, "समधी जी"!

गोपाल नाथ -"अरे,,,यह तो एक नए प्रकार का व्यंजन है, बहुत अच्छा लगा"! गोपाल नाथ ने बताया

गीता -"अच्छा लगा, तो जेब में भरकर घर मत ले जाना"! धर्मेंद्र की मां ने कहा

गोपाल नाथ -"आप भी बहुत मजाक करती हैं, "समधन जी"! "अब चलता हूं, आप संडे को आ जाइए, वहीं पर सगाई कर लेते हैं"!

फिर आकाश, अपनी छत पर आता है और वहां पर गाना गाते हुए, नाचता है "मैं सेहरा बांध के आऊंगा, मेरा वादा है"! "मैं तेरी मांग सजाऊंगा, मेरा वादा है "!!

तभी वहां पर उसका दोस्त कालू आ जाता है और वह कहता है

कालू -"मैं अभी रामपुर से आ रहा हूं, तेरी कलेक्टरनी, हेडपंप पर पानी भर रही है, जल्दी चला जा और जाकर देख ले"!

फिर वह दोनों साइकिल पर सवार होकर, फटाफट रामपुर आते हैं और दूर से उसका दोस्त कहता है

कालू -"वह काले सूट वाली, तेरी कलेक्टरनी है, पानी, पीने के बहाने चला जा और देख आ"!

आकाश -"दिख नहीं रहा है, मैं केले खा रहा हूं, अगर केले खाकर पानी पियूंगा, तो सर्दी जुकाम हो जाएगा, उसके घर जाने का रास्ता यही है, वह जब यहां से निकलेगी, तब छुपकर देख लूंगा"! आकाश ने केले का छिलका फेकंते हुए कहा

कालू -"छुपकर, तू देखना, मैं तो खुले आम देखूंगा, अरे उसे नहीं, उसकी सहेली को, यही खड़े-खड़े, अरे,,,वह आ रही है, जल्दी छुप जा"! कालू ने कहा

साइड में खड़ा कालू, केले का छिलका निकाल रहा है और आकाश वहीं पास की दीवार के पीछे छुपकर, देख रहा है पर उसे,गरीमा उसका चेहरा, दिखाई नहीं दे रहा है, क्योंकि उसने दुपट्टा ढक रखा है, इसीलिए उसका, पूरा चेहरा दिखाई नहीं दे रहा है, जब वह करीब से पानी का बर्तन लेकर निकलती हैं और आकाश उसे देखना शुरु करता है, तभी उसका पैर केले के छिलके पर पड़ता है और वह गिर जाती है और आकाश को उसे, देखे बिना ही, वहां से भागना पड़ता है

गरीमा उठकर कालू को एक तमाचा जड़ती है और कहती है

गरीमा -"यह सड़क तेरे बाप की है, जो केले खाकर छिलके फेंक रहा है"!

कालू -"मेरे केले का छिलका, तो मेरे हाथ में है, वह छिलका तो मेरे दोस्त ने फेंका था"! कालू ने बताया

गरीमा -"कहां है, तेरा दोस्त"?

कालू -"वह भाग गया"! कालू ने बताया

गरीमा -"पहले ही लेट हो गई हूं, कोचिंग जाना है, अब ये केले के छिलके, अपनी जेब में भर और घर ले जा, नहीं तो एक और दूंगी"! गरिमा ने धमकी देते हुए कहा

कालू -"अबे गद्दार,,मुझे वहां अकेला छोड़कर भाग आया"! कालू ने कहा

आकाश -"तेरी भाभी को लगी तो नहीं"!

कालू -"उसको तो नहीं लगी, पर मुझे बहुत जोर से लगी है, चांटा मारा उसने"! कालू ने बताया

आकाश -"उल्टे काम करेगा तो चांटा ही पड़ेगा, कोई लड्डू थोड़ी मिलेगा"!

कालू -"देख ली, अब घर चले"! कालू ने पूछा

आकाश -"नहीं देख पाया, उसका चेहरा देखने ही वाला था और वह फिसल कर गिर गई और वह छिलका मैंने ही फेंका था, इसीलिए वहां से भागना पड़ा"! आकाश ने बताया

कालू -"तेरी करनी, मुझे भुगतनी पड़ी, चल अब डायरेक्ट ही उसके दिव्य दर्शन कर देता हूं, वह कोचिंग जा रही है, कोचिंग में ही घुस जाते हैं, वहां जी भर के, देख लेना"! कालू ने कहा

आकाश -"अरे,,,वाह यार कालू, तू सच में बहुत है चालू"!

फिर वह दोनों कोचिंग सेंटर पहुंचते हैं

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